वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की अवमानना के साल 2009 के मामले में अगली सुनवाई 24 अगस्त को होगी. आज सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान पूर्व कानून मंत्री और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील शांति भूषण ने इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की खुली अदालत में करने की मांग की.
इस पर जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि हम मामले को खत्म करना चाहते थे, लेकिन कुछ मूल प्रश्न हैं-
1.क्या आप प्रेस से बात करना चाहते हैं?
2. अगर आपको किसी न्यायाधीश से कोई शिकायत है तो प्रक्रिया क्या होनी चाहिए?
3. किन परिस्थितियों में इस तरह के आरोप लगाए जा सकते हैं ये भी एक सवाल है?
वहीं प्रशांत भूषण के वकील राजीव धवन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा उठाए गए सवाल सही नहीं है. धवन ने मांग की है कि अवमानना के मामले को बंद कर देना चाहिए और जो सवाल बेंच ने उठाए हैं उन्हें सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच के पास भेज देना चहिए.
वकील राजीव धवन ने दलील दी कि प्रशांत भूषण ने जो कहा था वो रिटायर्ड जजों के बारे में था, वो जज तब सुप्रीम कोर्ट में जज के पद पर नहीं थे इसीलिए ये सुप्रीम कोर्ट की अवमानना नहीं मानी जा सकती है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहले इस पर विचार जरूरी है कि ऐसे बयान देने से पहले क्या आंतरिक शिकायत करना उचित नहीं होता है?
बता दें कि साल 2009 के 11 साल पुराने अवमानना के केस में सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण की तरफ दी गई सफाई और खेद व्यक्त करने को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना का ये केस उनके द्वारा 11 साल पहले तहलका पत्रिका को दिए गए इंटरव्यू को लेकर है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि भारत के 16 मुख्य न्यायाधीशों में से आधे भ्रष्ट थे. वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मुकदमा चलाने से पहले कोर्ट ये तय करेगा कि प्रशांत भूषण द्वारा कहे गए शब्द ‘भ्रष्टाचारी’ को कोर्ट की अवमानना माना जाना चाहिए या नहीं.
गौरतलब है कि प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करके कहा था कि जजों द्वारा सिर्फ आर्थिक भ्रष्टाचार नहीं किया जाता है, अपने पद का गलत लाभ लेना और भाई-भतीजावाद जैसी कई बातें भी इसके दायरे में आती हैं.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट 14 अगस्त को प्रशांत भूषण को कोर्ट की अवमानना का दोषी करार दे चुका है, जिसमें सजा सुनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में आज बहस होनी थी. हालांकि दोषी ठहराए जाने के बाद प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय खिलाफ पुर्नविचार याचिका दायर करने का फैसला किया है.
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