वकीलों से उलझना अब बड़ी मुश्किलों को बुलावा देना होगा। पुलिस भी वकीलों से बेवजह उलझने से और डरेगी। यह सब होगा अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम (Advocate Protection Act) के पास होने के बाद। बार काउंसिल आफ इंडिया (Bar Council of India) की सात सदस्यीय समिति ने एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट (अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम) का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। बीसीआइ (BCI) के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा (Manan Kumar Mishra) ने बताया कि अधिवक्ताओं की सुरक्षा की रूप-रेखा तैयार कर ली गई है। प्रयास होगा कि संसद (Parliament) से इस विधेयक को जल्द पारित कर लिया जाए।
प्रस्तावित नए कानून में 16 धाराएं
विधेयक की ड्राफ्टिंग में समिति के वरीय अधिवक्ता एस प्रभाकरन, देवी प्रसाद ढल, बीसीआइ के सह अध्यक्ष सुरेश श्रीमाली, सदस्य शैलेंद्र दुबे, प्रशांत कुमार कुमार सिंह, ए रामी रेड्डी, श्रीनाथ त्रिपाठी शामिल थे। ड्राफ्ट में 16 धाराएं बनाई गई हैं। बीसीआइ चाहता है कि संसद से उनके प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाए। संसद में चर्चा और पास किए जाने के बाद ही तय होगा कि इस कानून में आखिरी रूप से क्या प्रावधान किए जाते हैं।
प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, किसी अधिवक्ता या उसके परिवार को क्षति पहुंचाने या धमकी देने या दबाव बनाने को अपराध माना जाएगा, जिसमें सक्षम न्यायालय द्वारा छह माह से दो वर्ष तक सजा के साथ 10 लाख तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। साथ ही अधिवक्ता को हुए नुकसान की भरपाई हेतु अलग से जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
अधिवक्ताओं के विरुद्ध हो रहे अपराध गैर-जमानतीय एवं संज्ञेय की श्रेणी में आएंगे। अनुसंधान 30 दिनों में पूरा करना होगा। अधिवक्ता या वकील संघ के किसी भी शिकायत संबंधी मामले के निपटारे हेतु शिकायत निवारण समिति का गठन किया जाएगा। अधिवक्ताओं को न्यायालय का पदाधिकारी माना जाएगा। पुलिस किसी भी वकील को तब तक गिरफ्तार नहीं कर सकेगा, जब तक मुख्य दंडाधिकारी का सुस्पष्ट आदेश नहीं हो।
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